G20 Summit 2024 | Agenda of G20 |
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में दुनिया कई जटिल चुनौतियां का सामना कर रही है। जैसे आर्थिक आहिस्ता, जल वायु परिवर्तन, स्वास्थ्य संकट और बढ़ते भू–राजनीतिक तनाव। इन सब के बीच बहुपक्षी मंचों का महत्व बढ़ गया है जहां देश मिलकर समाधान खोजने का प्रयास करते हैं। ऐसे में G20 का महत्व और भी बढ़ जाता है।
ब्राजील में होने वाला है G20 शिखर सम्मेलन 2024
ब्राजील में होने वाला 2024 का G20 शिखर सम्मेलन भारत के लिए सिर्फ एक मंच नहीं है बल्कि वैश्विक चुनौतियों के समाधान प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस शिखर सम्मेलन में भारत अपने कूटनीति क्षमता का परिचय देते हुए एशिया अमेरिका और यूरोप के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राजील में G20 शिखर सम्मेलन मैं भागीदारी ना केवल औपचारिक उपस्थित है बल्कि यह भारत की वैश्विक राजनीतिक में महत्वपूर्ण भूमिका को भी दर्शाता है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि G20 शिखर सम्मेलन 2024 का प्रमुख एजेंडा क्या है? भारत के रुख को वैश्विक राजनीति में कैसे देखा जाएगा? और यह अन्य प्रमुख देशों जैसे अमेरिका और चीन के साथ भारत के संबंधों को कैसे प्रभावित करेगा? लेकिन सबसे पहले G20 के बारे में विस्तार से समझते हैं।
क्या है G20? और इसकी शुरुआत कब ओर कैसे हुई?
G20 अर्थात ग्रुप ऑफ 20 की स्थापना वर्ष 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नर के लिए वैश्विक आर्थिक सहयोग मंच के रूप में की गई थी। वर्ष 2008 में इसे राष्ट्र अध्यक्ष के स्तर पर उन्नत किया गया और वर्ष 2009 में इसे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच घोषित किया गया। वर्तमान में G20 में 19 देशों और यूरोपीय यूनियन के साथ-साथ अफ्रीकी संघ भी स्थाई सदस्य के रूप में शामिल है।
G20 के सदस्य
G20 के सदस्य हैं अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, गणराज्य मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, अफ्रीकी संघ और यूरोपीय संघ। G20 का वार्षिक शिखर सम्मेलन आर्थिक नीतियों, व्यापार सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार विरोधी पहलुओं पर चर्चा करता है। इसमें शिखर सम्मेलन के अलावा मंत्री स्तरीय बैठक, शेरपा बैठकें, कार्य समूह और विशेष आयोजन पूरे वर्ष आयोजित किए जाते हैं। यह दुनिया के प्रमुख और प्रणाली गति रूप से महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है। इसके सदस्य वैश्विक जीडीपी का 85%, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 75% और दुनिया की आबादी का लगभग 80% प्रतिनिधित्व करते हैं।
G20 शिखर सम्मेलन 2024 का एजेंडा
G20 शिखर सम्मेलन 2024 ने अपना एजेंडा तय किया है। इसमें सामाजिक समावेशन, वैश्विक सुधार और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। 9 नवंबर 2024 को ब्राज़ील के G20 शेरपा एम्बेसडर मॉरिशियाें लेरियों ने शिखर सम्मेलन के विवरण प्रस्तुत किए जो 18, 19 नवंबर 2024 को रियो डी जेनेरियो की म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट मैं आयोजित होगा। इस सम्मेलन में सामाजिक समावेशन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक WTO के सुधार और ऊर्जा संक्रमण पर चर्चा होगी।
उद्घाटन समारोह में भोग और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन की शुरुआत की जाएगी साथ ही ऊर्जा संक्रमण पर चर्चा में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। शिखर सम्मेलन के अंतिम दिन ब्राज़ील से दक्षिण अफ्रीका को G20 अध्यक्षता हस्तांतरित की जाएगी। जो वर्ष 2025 में अगली अध्यक्षता संभालेगा। वैश्विक सुधार के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधार की वकालत करेंगेमिल। यह मानते हुए कि यह संस्थाएं वर्तमान में वैश्विक वास्तविकता हो का पूरी तरह से प्रतिनिधित्व नहीं करती भारत चाहता है कि विकासशील देशों अधिक आवाज और भागीदारी मिले।
इस दृष्टिकोण से भारत अन्य विकासशील देशों के साथ और करीब आएगा विशेष कर उन देशों के साथ जो अंतरराष्ट्रीय मंच पर उचित प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन का समर्थन भी मिल सकता है जो अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सुधार पक्षधर है। वहीं भारत का सामाजिक समावेशन पर दृष्टिकोण केवल एक आंतरिक विषय नहीं है यह उन नीतियों को भी दर्शाता है जो भारत हमने पड़ोसी देशों और विकासशील राष्ट्रों के साथ साझा करना चाहता है। भारत इस विषय पर ब्राजील दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ मिलकर विकासशील देशों के अधिकारों और उनके विकास के अवसरों पर जोर देगा साथ ही स्थिरता और जलवायु संकट G20 एक और प्रमुख मुद्दा है और इस बार भारत का दृष्टिकोण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
भारत जलवायु परिवर्तनों के मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए ग्रीन एनर्जी सस्टेनेबल डेवलेपमेंट के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताएगा। भारत और चीन दोनों ग्रीन टेक्नोलॉजी में निवेश कर रहे हैं लेकिन इन दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं है। अमेरिका के साथ संबंधों में भी यह एक महत्वपूर्ण बिंदु होगा क्योंकि जो बिडेन का प्रशासन जलवायु सुधार के प्रति गंभीर है। अमेरिका और भारत के बीच इस मुद्दे पर सकारात्मक सहयोग की संभावना है जो चीन के लिए एक चुनौती बन सकती है।
भारत निभा सकता है एक मध्यस्थ की भूमिका
ऐसे में भारत एक मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है जहां जहां वह स्थिरता के मुद्दे पर अमेरिका और चीन के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करेगा। भारत चीन संबंध और वैश्विक राजनीति में भारत की स्थिति में महत्वपूर्ण है। भारत और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों सुधार और स्थिरता का प्रयास वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
जहां अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव और सामरिक मतभेद बने हुए हैं वही बाहर आती इस त्रिकोण में एक संतुलन कार्य शक्ति के रूप में उभर सकता है। भारत सरकार का रुख है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए चीन के साथ व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों में संतुलन बनाए रखें।
इसके अलावा सीमा विवाद और हिंदी प्रशांत क्षेत्र में भारत के भूमिका पर भी इस मंच पर चर्चा हो सकती है। अंत में G20 सम्मेलन भारत को वैश्विक मुद्दों पर एक मजबूत स्थिति में लाने अवसर प्रदान करता है। प्रधानमंत्री मोदी इस मंच का प्रयोग करते हुए अपनी कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करेंगे और वैश्विक राजनीति में भारत की स्थिति को और सुदृढ़ करेंगे। इस सम्मेलन में भारत की उपस्थित विकासशील देशों की आवाज को मजबूती से उठाने का काम करेगी जबकि यह वैश्विक राजनीति में भारत के लिए नई चुनौतियों और अवसरों का द्वार भी खोलेगी। और इसमें भारत सामाजिक समावेशन वैश्विक सुधार और स्थिरता के मुद्दों पर अपने विचार स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करेगा।
जो दुनिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होंगे।